Fir milenge - 1 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 1

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 1


मोबाइल की घंटी कब से बजे जा रही थी, मोहित हाथ धोते हुए अपने आप से बोला, “अरे भाई बस आया..” | मोबाइल उठाते ही उधर से आवाज आई, “अबे कहां रहता है तू ? कब से फोन कर रहा हूं ..”

मोहित - “अरे कुछ नहीं बस वॉशरूम में था, बोल कौन सी आफत आ पड़ी” |

मंजेश - “अरे यार एक खुशखबरी है” |
मोहित - “अरे बता ना यार क्या खुशखबरी है , वैसे भी बड़े दिन से कोई गुड न्यूज़ नहीं सुनी” |

मंजेश - “यार कल तुम्हारी भाभी ना मायके जा रही है... तो हम चारों मिलकर रोज पार्टी करेंगे, बहुत दिन हो गए |

मोहित - “सच में... अरे वाह बढ़िया है फिर तो चार-पांच दिन खूब मजे आएंगे” |

मंजेश - “हां भाई और सुन उन दोनों को भी बता देना, अच्छा मैं अभी रख रहा हूं बाद में बात करता हूं” | यह कहकर मंजेश ने फोन रख दिया |

मोहित अपने दो और दोस्तों अर्पित और आफताब को फोन करता है और कल रात आठ बजे चारों के मिलने का टाइम फिक्स
होता है |

मोहित एक बैंक में काम करता है और अपने मां-बाप के साथ रहता है |

मंजेश एक डॉक्टर है पर वह पत्नी के शक्की होने की वजह से दोस्तों तक से नहीं मिल पाता और वैसे भी उसको अपने हॉस्पिटल से फुर्सत ही नहीं मिलती इसलिए वह अपनी पत्नी मंजू के जाने से खुश था, मंजेश का एक छह साल का बेटा है ध्रुव, जो उसकी जान है |

अर्पित पुलिस है और उसे काम से फुर्सत ही नहीं मिलती उसकी शादी अभी नहीं हुई है और वह इस शहर में पुलिस लाइन में बाकी पुलिस वालों के साथ रहता है |

आफताब का बड़ा बिजनेस है कपड़ों का उसके चार लड़के और दो लड़कियां हैं पत्नी और मां बाप घर पर साथ में रहते हैं |

अगली सुबह ...

मंजेश - “अरे मंजू क्या कर रही हो? ड्राईवर कब से होर्न दे रहा है” |

मंजू - “अरे आ रही हूं...मंजू अपने आप को शीशे मे देखते हुये बोली मम्मी पापा कितना बुला रहे हैं पर नहीं सारे मरीजों की जिम्मेदारी तो जैसे तुम्हारे सर पर ही है, सारे दामाद आकर चले गए एक तुम ही हो जो अभी तक नहीं गये” |

मंजेश - “मुझे देर हो रही है हॉस्पिटल से कॉल आ रही है और तुम हो कि बस” |

मंजू घर में ताला लगाकर चाबी मंजेश को देती है और बोलती है, “ज्यादा उड़ना मत.. चार-पांच दिन आजादी मना लो और हां घर साफ मिलना चाहिए जैसे छोड़ कर जा रही हूं” |

ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो मंजेश का बेटा ध्रुव बोला, “पापा आप भी चलो ना” |
मंजेश - “नहीं बेटा... आप जाओ आराम से नानी के यहां इंजॉय करना” |

ध्रुव - “अच्छा पापा आप हमे लेने आना” |

मंजेश - “हां बेटा.. मैं लेने जरूर आऊंगा वरना तुम्हारी मां इस बार कहां आने वाली है अकेले” |

इतने में मंजेश का हॉस्पिटल आ जाता है, मंजेश उतरने लगता है तो ध्रुव उससे लिपट जाता है और कहता है, “मिस यू पापा.. जल्दी आना” |

मंजेश का चेहरा उतर जाता है बेटे को रोता देखकर तो मंजू कहती है, “जब तक आओगे नहीं तब तक मैं आऊंगी नहीं समझे.. अपना ख्याल रखना” |

ड्राइवर गाड़ी फिर स्टार्ट कर देता है और मंजेश बाय करने लगता है, मंजू चिल्ला कर कहती है, “अरे हां सुनो... जरा कम कम पीना उन लफंगों के साथ” |

मंजेश शर्मा जाता है और गाड़ी कुछ ही देर में आंखों से ओझल हो जाती है, मंजेश हॉस्पिटल में अपने मरीजों को देखने लगता है |


आगे की कहानी अगले भाग में